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Tuesday, March 31, 2020
शरीर रहे स्वस्थ : हमारे शरीर का सबसे बड़ा दुश्मन कब्ज़
शरीर रहे स्वस्थ : हमारे शरीर का सबसे बड़ा दुश्मन कब्ज़: कब्ज़ एक ऐसा दुश्मन जो आपके शरीर को बीमार कर देता है। कब्ज़ की समस्या कई भयानक बीमारियों की जड़ है। आधुनिक समय में ये बीमारी लोगों में ब...
सहेली के सुझाव: चाय, हमारी दिनचर्या का महत्वपूर्ण हिस्सा कितना ला...
सहेली के सुझाव: चाय, हमारी दिनचर्या का महत्वपूर्ण हिस्सा कितना ला...: चाय, हमारी दिनचर्या का महत्वपूर्ण हिस्सा कितना लाभकारी और कितना हानिकारक जानिए चाय के बारे में पूरी जानकारी चाय पीना हमारी दिनचर्या का ...
चाय, हमारी दिनचर्या का महत्वपूर्ण हिस्सा कितना लाभकारी और कितना हानिकारक जानिए चाय के बारे में पूरी जानकारी
चाय, हमारी दिनचर्या का महत्वपूर्ण हिस्सा कितना लाभकारी और कितना हानिकारक जानिए चाय के बारे में पूरी जानकारी
चाय पीना हमारी दिनचर्या का एक अहम् हिस्सा है।आपका मूड ख़राब है तो चाय आपका मूड अच्छा कर देती है। अधिकतर लोगों का दिन ही चाय के कप के साथ होता है। दुनिया में आप चाहे कही भी चले जाओं चाय एक ऐसा पेय है हो हर जगह मिलता है और इसके बिना आपकी मेहमाननवाज़ी भी अधूरी सी है। जब चाय ही हमारे लिए इतनी खास है तो हम इसके बारे में कुछ रोचक जानकारियाँ बताते है।
चाय का चलन ----- चाय का चलन कब से हुआ इस बात का तो पता नहीं है परन्तु इसके पीछे एक कहानी लोगों की जुबान पर है। बात उन दिनों की थी जब चीन देश के राजा शैन नुंग के गर्म पानी के कप में कुछ पत्तियाँ उड़ कर कप में गिर गयी जिससे पानी का रंग बदल गया और गर्म पानी में से एक महक आने लगी। जब इस पानी को पिया गया तो इसका स्वाद राजा को बहुत पसंद आया इसके बाद ये पेय चाय के नाम से पिया जाने लगा।
भारत में चाय का उत्पादन ------ बात साल 1815 की है जब अंग्रेज यात्रियों का ध्यान असम में कुछ झाड़ियों पर गया जिसे वहाँ के लोग पेय बनाकर पीते थे। 1834 में भारत के गवर्नर जर्नल लॉर्ड बैटिक ने ऐसे क्षेत्रों की खोज करवाई जहाँ चाय का उत्त्पादन हो सकता था। साल 1835 में चाय के बागान लगा कर उत्पादन शुरू किया गया और तब से हमारे देश में चाय का उत्पादन शुरू हुआ।
चाय में पाए जाने वाले तत्व ----- चाय में कई प्रकार के तत्व पाए जाते है।
कैफीन ---- चाय में पाया जाने वाला तत्व कैफीन शरीर में चुस्ती फुर्ती लाता है परन्तु ये ही तत्व चाय की लत को लगता है। जिन लोगों को इसकी लत लग जाती है यदि उनको चाय न मिले तो उनको सिरदर्द और कमजोरी महसूस होती है।
टेनिन ----- टेनिन के कारण ही हम चाय पीकर ताजगी का अनुभव करते है लेकिन यदि कुछ समय के बाद चाय न मिले तो हम थका थका सा महसूस करते है। टेनिन ही हमारे पाचनतंत्र पर बुरा असर डालता है।
एमिनो एसिड्स ------ चाय में एल थिएनाइन एमिनो नाम का एसिड दिमाग को शांत और अलर्ट रखता है।
फ्लोराइड ----- चाय में पाया जाने वाला फ्लोरिड नाम का तत्व हड्डियों को कमजोर करता है यदि ज्यादा मात्रा में चाय का सेवन किया जाये।
टेनिन ----- टेनिन के कारण ही हम चाय पीकर ताजगी का अनुभव करते है लेकिन यदि कुछ समय के बाद चाय न मिले तो हम थका थका सा महसूस करते है। टेनिन ही हमारे पाचनतंत्र पर बुरा असर डालता है।
एमिनो एसिड्स ------ चाय में एल थिएनाइन एमिनो नाम का एसिड दिमाग को शांत और अलर्ट रखता है।
फ्लोराइड ----- चाय में पाया जाने वाला फ्लोरिड नाम का तत्व हड्डियों को कमजोर करता है यदि ज्यादा मात्रा में चाय का सेवन किया जाये।
फायटोकेमिकल्स ---- ज्यादा चाय का सेवन करने पर इसी तत्व से नींद न आने की बीमारी हो जाती है।
आक्सलेट्स ---- ये तत्व यदि ज्यादा हो जाये यानि ज्यादा चाय का सेवन किया जाये तो स्टोन की परेशानी हो सकती है।
चाय के फायदे ----- चाय पीने के अनेकों फायदे है ये कैफीन और टेनिन से भरपूर होते है जिससे चुस्ती फुर्ती का अहसास होता है।
चाय में जो एमिनो एसिड पाए जाते है वो दिमाग को शांत और अलर्ट रखता है।
चाय में पाया जाने वाला एंटीजेन नाम का तत्व एक तरह का एन्टीबैक्टीरयल होता है।
चाय के एन्टीऑक्ससिडेंट्स अनेकों बीमारियों से बचाते है और जल्दी बूढ़ा नहीं होने देते है।
चाय में पाया जानेवाला फ्लोरिड तत्व हड्डियों को मजबूत करता है और दांतों में जल्दी कीड़ा नहीं लगने देता है।
चाय की विषय में मजेदार बातें -------
* 15 दिसम्बर को इंटरनेशनल टी डे मनाया जाता है।
* चाय अफगानिस्तान और ईरान का राष्ट्रीय पेय है।
* चाय ही केवल एक ऐसा पेय है जो दुनिया में सबसे ज्यादा पिया जाता है।
* भारत में 1835 से चाय पीने की शुरुवात हुई।
* चाय ही एक ऐसा पेय है जो लोग ठंडा और गर्म दोनों ही तरह से लेते है।
* तुर्की में एक व्यक्ति हर रोज 15 कप चाय पी लेता है।
* ब्लैक टी की सबसे ज्यादा खपत भारत में है।
चाय की वैराइटी ----- चाय दो तरह की होती है सीटीसी या प्रोसेस्ड टी और ग्रीन टी
सीटीसी टी ( काली चाय ) ---- इसको बहुत से ब्रांड्स बेचते है ये दानेदार होती है। ये वही चाय होती है जो हम लोग अपने घरों में पीते है। इसको बनाने के लिए बागान से पत्तियों को लाकर कर्ल किया जाता है फिर इनको सूखा कर दानों में बदल देते है इससे चाय की स्वाद में बदलाव आता है ये पहले से ज्यादा महकती है और स्वाद में निखरती है। इसे दूध और चीनी के साथ पिया जाता है। कुछ लोग इसे बिना दूध और चीनी के पीते है जो बहुत ही फायदेमंद होती है।
ग्रीन टी ----- इस चाय को प्रोसेस्ड नहीं किया जाता है। ग्रीन टी को कच्ची पत्तियों को सुखाकर बनती है। ग्रीन टी को सीधे ही पत्तियों को तोड़ कर बनाया जाता है इसलिए ग्रीन टी में काली टी से ज्यादा एन्टीऑक्ससिडेंट होते है। इसे बिना दूध और चीनी के पीया जाता है।
हर्बल टी ---- जब ग्रीन टी में कुछ जड़ीबूटियां जैसे अश्वगंधा ,तुलसी , इलायची , दालचीनी आदि मिला दिया जाता है है तो ये हर्बल टी बन जाती है। इस चाय का इस्तेमाल लोग आयुर्वेदिक इस्तेमाल जैसे सर्दी खांसी आदि के लिए करते है। इसे बिना दूध और चीनी के पीया जाता है।
ऑर्गेनिक टी ---- इस टी में किसी भी तरह का कोई केमिकल नहीं मिलाया जाता है। ये स्वास्थ्य के लिए बहुत अच्छी होती है।
वाइट टी ------ इस टी को कम प्रोस्सेड करते है। स्वाद में ये हलकी मीठी होती है। इस टी में कम कैफीन और ज्यादा एन्टीऑक्ससिडेंट होते है।
ब्लैक टी ------- इससे बिना दूध और चीनी के पिया जाता है। ये टी बहुत ही फायदेमंद होती है।
लेमन टी ------ इसे नींबू के रस के साथ पिया जाता है। इस तरह की चाय पीने से चाय के जो एन्टीऑक्ससिडेंट शरीर को नहीं मिल पाते है वो नीबू की रस के साथ शरीर को मिल जाते है।
इंस्टेंट टी ----- ये टी टी बैग्स में मिलती है। टी बैग्स को गर्म पानी में डाल कर तुरंत तैयार कर लिया जाता है ये टी बहुत फायदेमंद है। टी बैग्स में टैनिक एसिड होता है जो नेचुरल एस्ट्रिजेंट होता है। इसके एंटीवायरल और एंटीबैक्टीरियल गुणों के कारण इसे कॉस्मेटिक इस्तेमाल में भी करते है।
चाय से होने वाले नुकसान ---- चाय सेहत के लिए अच्छी होती है यदि इसका इस्तेमाल सही तरह से किया जाये। चाय को एक दिन में तीन कप से ज्यादा लेना नुकसानकारक होता है।
ज्यादा चाय पीने से ज्यादा यूरिन आता है जिसके कारण शरीर से कई तरह के मिनरल्स निकल जाते है जैसे कैल्शियम ,पोटेशियम आदि।
ज्यादा चाय का सेवन किडनी में स्टोन का भी कारण हो सकता है।
चाय बनाने के बाद उसका सेवन तुरंत कर लेना चाहिए नहीं तो पाचनतंत्र ख़राब हो सकता है।
ज्यादा चाय का सेवन शरीर में आयरन ऑब्जर्व करने के क्षमता को कम कर देता है।
ज्यादा चाय पीने से दांत पीले और बदरंग हो जाते है।
ज्यादा चाय पीने से दिल की बीमारी , मोटापा , अनिंद्रा जैसी बीमारी हो सकती है।
ज्यादा चाय ब्रेन की पावर कम कर देती है।
आक्सलेट्स ---- ये तत्व यदि ज्यादा हो जाये यानि ज्यादा चाय का सेवन किया जाये तो स्टोन की परेशानी हो सकती है।
चाय के फायदे ----- चाय पीने के अनेकों फायदे है ये कैफीन और टेनिन से भरपूर होते है जिससे चुस्ती फुर्ती का अहसास होता है।
चाय में जो एमिनो एसिड पाए जाते है वो दिमाग को शांत और अलर्ट रखता है।
चाय में पाया जाने वाला एंटीजेन नाम का तत्व एक तरह का एन्टीबैक्टीरयल होता है।
चाय के एन्टीऑक्ससिडेंट्स अनेकों बीमारियों से बचाते है और जल्दी बूढ़ा नहीं होने देते है।
चाय में पाया जानेवाला फ्लोरिड तत्व हड्डियों को मजबूत करता है और दांतों में जल्दी कीड़ा नहीं लगने देता है।
चाय की विषय में मजेदार बातें -------
* 15 दिसम्बर को इंटरनेशनल टी डे मनाया जाता है।
* चाय अफगानिस्तान और ईरान का राष्ट्रीय पेय है।
* चाय ही केवल एक ऐसा पेय है जो दुनिया में सबसे ज्यादा पिया जाता है।
* भारत में 1835 से चाय पीने की शुरुवात हुई।
* चाय ही एक ऐसा पेय है जो लोग ठंडा और गर्म दोनों ही तरह से लेते है।
* तुर्की में एक व्यक्ति हर रोज 15 कप चाय पी लेता है।
* ब्लैक टी की सबसे ज्यादा खपत भारत में है।
चाय की वैराइटी ----- चाय दो तरह की होती है सीटीसी या प्रोसेस्ड टी और ग्रीन टी
सीटीसी टी ( काली चाय ) ---- इसको बहुत से ब्रांड्स बेचते है ये दानेदार होती है। ये वही चाय होती है जो हम लोग अपने घरों में पीते है। इसको बनाने के लिए बागान से पत्तियों को लाकर कर्ल किया जाता है फिर इनको सूखा कर दानों में बदल देते है इससे चाय की स्वाद में बदलाव आता है ये पहले से ज्यादा महकती है और स्वाद में निखरती है। इसे दूध और चीनी के साथ पिया जाता है। कुछ लोग इसे बिना दूध और चीनी के पीते है जो बहुत ही फायदेमंद होती है।
ग्रीन टी ----- इस चाय को प्रोसेस्ड नहीं किया जाता है। ग्रीन टी को कच्ची पत्तियों को सुखाकर बनती है। ग्रीन टी को सीधे ही पत्तियों को तोड़ कर बनाया जाता है इसलिए ग्रीन टी में काली टी से ज्यादा एन्टीऑक्ससिडेंट होते है। इसे बिना दूध और चीनी के पीया जाता है।
हर्बल टी ---- जब ग्रीन टी में कुछ जड़ीबूटियां जैसे अश्वगंधा ,तुलसी , इलायची , दालचीनी आदि मिला दिया जाता है है तो ये हर्बल टी बन जाती है। इस चाय का इस्तेमाल लोग आयुर्वेदिक इस्तेमाल जैसे सर्दी खांसी आदि के लिए करते है। इसे बिना दूध और चीनी के पीया जाता है।
ऑर्गेनिक टी ---- इस टी में किसी भी तरह का कोई केमिकल नहीं मिलाया जाता है। ये स्वास्थ्य के लिए बहुत अच्छी होती है।
वाइट टी ------ इस टी को कम प्रोस्सेड करते है। स्वाद में ये हलकी मीठी होती है। इस टी में कम कैफीन और ज्यादा एन्टीऑक्ससिडेंट होते है।
ब्लैक टी ------- इससे बिना दूध और चीनी के पिया जाता है। ये टी बहुत ही फायदेमंद होती है।
लेमन टी ------ इसे नींबू के रस के साथ पिया जाता है। इस तरह की चाय पीने से चाय के जो एन्टीऑक्ससिडेंट शरीर को नहीं मिल पाते है वो नीबू की रस के साथ शरीर को मिल जाते है।
इंस्टेंट टी ----- ये टी टी बैग्स में मिलती है। टी बैग्स को गर्म पानी में डाल कर तुरंत तैयार कर लिया जाता है ये टी बहुत फायदेमंद है। टी बैग्स में टैनिक एसिड होता है जो नेचुरल एस्ट्रिजेंट होता है। इसके एंटीवायरल और एंटीबैक्टीरियल गुणों के कारण इसे कॉस्मेटिक इस्तेमाल में भी करते है।
चाय से होने वाले नुकसान ---- चाय सेहत के लिए अच्छी होती है यदि इसका इस्तेमाल सही तरह से किया जाये। चाय को एक दिन में तीन कप से ज्यादा लेना नुकसानकारक होता है।
ज्यादा चाय पीने से ज्यादा यूरिन आता है जिसके कारण शरीर से कई तरह के मिनरल्स निकल जाते है जैसे कैल्शियम ,पोटेशियम आदि।
ज्यादा चाय का सेवन किडनी में स्टोन का भी कारण हो सकता है।
चाय बनाने के बाद उसका सेवन तुरंत कर लेना चाहिए नहीं तो पाचनतंत्र ख़राब हो सकता है।
ज्यादा चाय का सेवन शरीर में आयरन ऑब्जर्व करने के क्षमता को कम कर देता है।
ज्यादा चाय पीने से दांत पीले और बदरंग हो जाते है।
ज्यादा चाय पीने से दिल की बीमारी , मोटापा , अनिंद्रा जैसी बीमारी हो सकती है।
ज्यादा चाय ब्रेन की पावर कम कर देती है।
Sunday, March 29, 2020
पंचामृत यानि चरणामृत के ये गुण क्या आपको पहले से पता थे ?
पंचामृत यानि चरणामृत के ये गुण क्या आपको पहले से पता थे ?
पंचामृत या चरणामृत ये वो प्रसाद होता हो जो मंदिर का पुजारी आपको मंदिर में भगवान के दर्शन के बाद एक जल के रूप में देता है। ये केवल एक जल नहीं होता है बल्कि ये भगवान के चरणों में अर्पण पाँच चीजों का मिश्रण होता है जो भगवन को अर्पण करने के बाद उनके भक्तों में वितरित कर दिया जाता है। चरणामृत का धार्मिक दृष्टि से तो बहुत लाभ है परन्तु हमारी सेहत पर भी ये आश्चर्यजनक रूप से प्रभाव डालता है। हमारे शास्त्रों के अनुसार पंचामृत का सेवन करने से एक सकारात्मक ऊर्जा मिलती है जो हमारे हमारे अंदर सकारात्मक भावना और सकारात्मक विचार उत्पन करती है। पंचामृत पांच प्रकार के अमृत यानि पांच ऐसे पदार्थो से मिलकर बना है जो स्वास्थ्य की दृष्टि से हमें बहुत लाभ देते है।दूध ----- हमारे शास्त्रों में दूध को सबसे पवित्र माना गया है। इसकी पवित्रता के कारण देवताओं का स्नान भी दूध से होता है। जब हम संसार में शुद्धता की बात करते है तो दूध का नाम सबसे पहले आता है। पंचामृत में दूध वो भी गाय के दूध का इस्तेमाल होता है। गाय का दूध सबसे अच्छा शुद्ध ,गुणकारी माना गया है। पंचामृत में दूध का इस्तेमाल करने का मतलब होता है कि हमारा जीवन भी दूध की तरह चमकता रहे उसपर कोई कलंक न हो।
दही ----- पंचामृत में दूसरा अमृत यानि दही का इस्तेमाल होता है। जैसे दही के बैक्टीरिया दूध को दही में बदल देता है वैसे ही हम अपने जीवन को निष्कलंक बनके सद्गुण अपनाये और दूसरों को भी अपने जैसा बना दे। दही का उपयोग हम सभी शुभ कार्यों में करते है। दही एक प्रकार का सुपरफूड माना गया है क्योकि दही में सभी पौष्टिक गुण होते है साथ ही खाने में हलकी यानि सुपाच्य होती है। दही हमारे लिए एक अमृत के समान है।
घी ------ पंचामृत में इस्तेमाल होने वाला तीसरा अमृत यानि घी। घी हमारे जीवन में प्रेम और समर्पण का प्रतीक है हमारे सम्पूर्ण जीवन प्रेम और समर्पण पर चलता है। हमारे आयुर्वेद में घी को अमूल्य बताया गया है यदि घी गाय के दूध से बना हो तो बहुत ही उत्तम होता है। गाय के घी का दीपक हम देवताओं की पूजा के समय जलाते है। गाय के दूध से बना घी को ही शुद्ध माना गया है। गाय के दूध से बना घी कई स्वास्थ्य लाभ देता है इसके इस्तेमाल से हमारे आँखों की रौशनी बढ़ती है। ये शरीर को बलवान तो बनता ही है कई आयुर्वेद उपचार में भी इस्तेमाल होता है।
शहद ----- पंचामृत में चौथा अमृत यानि शहद का इतेमाल होता है। शहद मीठा होने के साथ शक्ति प्रदान करता है। शहद का इस्तेमाल करने का मतलब हमे दुर्बल से शक्तिशाली होना है क्योकि दुर्बल हर कार्य में अयोग्य होता है। पूर्ण योग्यता प्राप्त करने के लिए शक्तिशाली होना जरुरी है। शहद का सेवन हमारे देवताओं को भी बहुत प्रिये है। शहद का इस्तेमाल हमें अनेकों फायदे देता है। शहद एक ऐसा पदार्थ है जो कभी खराब नहीं होता है। शहद का इस्तेमाल कई बिमारियों को दूर करने ,सौन्दर्य लाभ और कई प्रकार की आयुर्वेदिक दवाओं में इस्तेमाल होता है।
शक्कर ----- पंचामृत का पांचवा अमृत यानि शक़्कर का इस्तेमाल इसका मतलब होता है हमारे जीवन में मिठास हो। इससे हमारे स्वाभाव मीठा होता है। हमारी सेहत के लिए अच्छा माना गया है। ये शक़्कर गुड़ से बनती है। शक्कर की जगह देशी खांड या मिश्री जो की चीनी से ज्यादा गुणकारी मानी जाती है। का इस्तेमाल किया जाता है। मिठास को ख़ुशी ,उल्लास ,प्रेम और सद्धभावना का प्रतीक माना जाता है इन बिना मिठास के हमारा जीवन अधूरा है।
तुलसी ------ पंचामृत में एक और पदार्थ का इस्तेमाल होता है जिसके बिना देवता भी कोई वास्तु ग्रहण नहीं करते है वो है तुलसीदल यानि तुलसी की पत्तियाँ। पंचामृत में तुलसी की पत्तियों का इस्तेमाल इसको सुपरपॉवरफ़ुल बना देता है। तुलसी के अनेकों ऐसे गुण है जिसके कारण इसका इस्तेमाल पूजा से लेकर बिमारियों को दूर भागने के लिए किया जाता है। रोज तुलसी का इस्तेमाल हमें अनेकों बिमारियों और शारीरिक विकारों से दूर रखता है।
गंगाजल ----- पंचामृत बनाने के बाद उसमे गंगाजल डाला जाता है गंगाजल अपनी शुद्धता और पवित्रता को बनाये रखता है। गंगा जल में जड़ीबूटी और आयुर्वेदिक दोनों ही गुण होते है जो इस बात का प्रतीक है व्यक्ति को प्रेम और करुणा का गुण होना चाहिए।
Saturday, March 28, 2020
सहेली के सुझाव: क्या आप जानते है कि दही को सुपर फ़ूड क्यों कहा जाता...
सहेली के सुझाव: क्या आप जानते है कि दही को सुपर फ़ूड क्यों कहा जाता...: क्या आप जानते है कि दही को सुपर फ़ूड क्यों कहा जाता है ? चाहे कोई भी खाना हो उसमे दही न हो तो कुछ अधूरा सा लगता है। दही बेहतर स्वास्थ्य और...
क्या आप जानते है कि दही को सुपर फ़ूड क्यों कहा जाता है ?
क्या आप जानते है कि दही को सुपर फ़ूड क्यों कहा जाता है ?
चाहे कोई भी खाना हो उसमे दही न हो तो कुछ अधूरा सा लगता है। दही बेहतर स्वास्थ्य और तंदुरस्ती के लिए जाना जाता है। दही में ऐसे पोषक तत्व होते है जो हमारे संपूर्ण स्वास्थ्य की रक्षा करते है। बदलते मौसम में हमें कुछ ऐसी चीजों की आवश्यकता होती है जो हमारे शरीर की बिमारियों से लड़ने में मदद करे यानि हमारा इम्यून सिस्टम को मजबूत करे। दही एक ऐसा सुपर फ़ूड है जो हमारे शरीर की इम्यून सिस्टम को मजबूत करती है जिससे हमारा शरीर वायरल और बैक्टीरियल इन्फेक्शन से मुकाबला कर निरोग रहता है। हमारे शरीर की आंतों में लगभग 400 प्रकार के अच्छे और बुरे बैक्टीरिया पाए जाते है। दही में पाए जाने वाले अच्छे बैक्टीरिया कई तरह से हमारे लिए फायदेमंद होते है* कार्बनिक अम्लों को ग्लूकोज़ में बदलने में मदद करते है।
* कोलेस्ट्रॉल को कम करते है।
* खाने की पोषक तत्वों को शरीर में पचाने में मदद करते है।
* प्रोटीन ,एंजाइम और फाइबर के को तोड़ते है।
* शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करते है।
कैसे फ़ायदेमदं है दही ------ दही में प्रोबॉयोटिक्स में शरीर में इम्यून सिस्टम को मजबूत करने की क्षमता होती है जो शरीर की आंतों में मौजूद बैक्टीरिया और यीस्ट यानि बैड बैक्टीरिया ,(जो शरीर में रोग का कारण होते है )उन को ख़त्म करके शरीर को रोग मुक्त बनता है। दही में पाया जाने वाला प्रोबॉयोटिक्स एलर्जी को रोकने की क्षमता रखते है। बच्चों और बुजुर्गों में रोगों से लड़ने की क्षमता कम होती है घर का बना ताजा दही इन लोगों की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ता है , वायरल इन्फेक्शन से बचाव करता है। इसके लिए दही हमेशा ताजा और घर का बना होना चाहिए।
दही क्यों सुपर फ़ूड है ----- अनेकों कारणों से दही को सुपर फ़ूड कहा जाता है।
* दही पेट को ठंडा रखती है.
* दही एक सम्पूर्ण फ़ूड है जो शरीर को प्रोटीन , कैल्शियम ,विटामिन बी 12 ,विटामिन बी 2 ,मैग्नीशियम ,पोटेशियम, फैट , आदि पोषक तत्व प्रदान करती है।
* दही आसानी से पच जाती है ये उन लोगों के लिए बहुत गुणकारी होती है जिन लोगों की पाचन क्षमता कमजोर है।
* बदलते मौसम में दही शरीर में इम्यून सिस्टम को मजबूत करती है इसका कारण दही में लैक्टोबैसिलस नाम का बैक्टीरिया होता है जो शरीर में बिमारियों से लड़ने के फाइटर की तरह काम करता है।
* दही कब्ज की समस्या दूर करता है।
* दही में फैट और कैलोरी कम होती है। इसमें मौजद कैल्शियम शरीर में कॉर्टिसॉल बनने से रोकता है जिसके कारण शरीर का वजन बढ़ता नहीं है और ये वजन कम करता है। इसलिए ये शरीर का वजन घटाने के लिए बहुत अच्छा है।
* त्वचा के लिए दही बहुत अच्छा होता है। ये त्वचा को मॉइश्चराइज करता है। दही में पाया जाने वाला लैक्टिक एसिड त्वचा से डेड सेल्स उतारने का काम करता है और ये त्वचा के कालेपन को साफ़ करता है।
* हमारे आयुर्वेद में दही खाना अच्छा कहा गया है इसे सुबह की नाश्ते के समय लेना सबसे अच्छा कहा गया है पर अस्थमा के रोगी इसका सेवन रात में न करे।
* दही को ज़माने के लिए मिटटी का बर्तन सबसे अच्छा होता है इससे दही में पोषकता बढ़ जाती है। दही बिना चीनी और नमक के सेवन करना उत्तम रहता है।
Thursday, March 26, 2020
उदास मन को मस्त कर देती है ये पाँच चीजें।
उदास मन को मस्त कर देती है ये पाँच चीजें।
कभी कभी हम काफी उदास सा फील करते है इसका कारण चाहे कोई भी हो पर उदास मन से हम कभी भी अच्छा काम नहीं कर सकते। उदास मन से किया कार्य हमें अच्छा फल भी नहीं देता है। उदास मन का एक कारण होता है वो है हमारी ऊर्जा का स्तर का गिरना और सिरोटोनिन नाम के हार्मोन्स में गिरावट आना। यदि आप अपनी ऊर्जा के स्तर को बढ़ा दे तो सेनोटेनिन हार्मोन के स्तर में बढ़त होगी और आप ऊर्जावान बनके मस्त मस्त हो जायेगे।
चॉकलेट ----- चॉकलेट में स्ट्रेस हार्मोन्स को दबाने की अदभुत क्षमता होती है तो जब भी आप अपने आप को उदास महसूस करे या आलसी फील करे तो तुरंत चॉकलेट का सेवन करे। यदि आप हमेशा अच्छा फील करना चाहती है तो चॉकलेट सेवन करे पर सावधान! इसे कभी भी अपनी आदत न बनाने दे।
सीरियल्स का सेवन करे ----- जो लोग रोज नाश्ते में साबुत आनाज का नाश्ता करते है उनका मूड हमेशा खुशमिजाज रहता है। साबुत अनाजों में विटामिन बी बहुत अच्छी मात्रा में होता है ये ही सेरोटनिन नाम के हार्मोन का उत्पादक होता है। सिरोटोनिन हार्मोन हमारे मूड को खुश रखते है।
ड्राई फ्रूट्स का सेवन ----- यदि हम दिन भर ऊर्जा से भरे रहेंगे तो हमारा मूड भी अच्छा रहेगा। दिनभर की ऊर्जा के लिए मुठी भर ड्राई फ्रूट्स का सेवन हमे दिन भर ऊर्जा से भरा रखता है।
पाइनएप्पल ------- पाइनएप्पल के सेवन से सिरोटोनिन हार्मोन्स का स्तर बढ़ता है इसलिए जब आप अपना जल्दी से मूड सही करना चाहते हो तो तुरंत पाइनएप्पल खाये या इसका जूस पिए। पाइनएप्पल खाने से सर्दी और खांसी की छुट्टी होती है।
नारियल ----- नारियल का सेवन अक्सर हम सर की मालिश करने के लिए करते है पर क्या आपको पता है की नारियल गुड़ कोलेस्ट्रॉल को बढ़ता है साथ ही ये हमारे मेटाबॉलिज़्म को भी बढ़ता है और हमें अच्छा फील करता है।
हींग मसाला ही नहीं , ये एक आयुर्वेदिक दवा भी है
हींग मसाला ही नहीं , ये एक आयुर्वेदिक दवा भी है
हींग फेरूला फोइटिस नाम के पौधे का चिकना रस होता है। हींग के पौधे का पत्ते और छाल से दूध जैसा चिकना पदार्थ को इखट्टा करके इसे पत्तों में सूखा लेते है सूखने के बाद ये हींग बन जाता है। हींग का इस्तेमाल हम स्वाद और महक के लिए ही नहीं करते है बल्कि कई ओषधि गुणों के लिए भी करते है। क्या आप जानते है हींग कई परेशानियों को दूर करता है कौन सी परेशानियां है आइये जानते है।पेट दर्द है तो हींग का घोल नाभि के चारों और लगा ले जल्दी आराम आ जायेगा।
गैस की समस्या है तो हींग को गुड़ के पानी के साथ पी ले गैस की समस्या नहीं रहेगी।
अचार के बर्तन को हींग का धुआँ देने के बाद अचार भरे अचार ख़राब नहीं होगा।
यदि कब्ज रहती है तो रात को पानी में थोड़ा सा हींग घोल कर ले। सुबह आपका पेट अच्छी तरह से साफ़ हो जायेगा।
यदि भूख नहीं लगती है तो हींग को भून कर अदरक और मक्खन के साथ खाने से पहले ले। भूख अच्छे से लगेगी।
यदि कांच ,तिनका ,या काटा कुछ चुभ जाये तो हींग का लेप लगाने से काटा या कांच अपने आप निकल जाता है।
कान में दर्द होने पर तिल के तेल में थोड़ा सा हींग गर्म करके कान में डालने से दर्द तुरंत सही हो जाता है।
दांत में कैवेटी या कीड़ा लग गया हो तो हींग रुई में रख कर दांतों के बीच रख कर सो जाये कीड़ा अपने आप निकल जायेगा।
Wednesday, March 25, 2020
सहेली के सुझाव: घरों को कीटाणु रहित करने का आसान और सस्ते उपाय जो ...
सहेली के सुझाव: घरों को कीटाणु रहित करने का आसान और सस्ते उपाय जो ...: घरों को कीटाणु रहित करने का आसान और सस्ते उपाय जो आपके घर को शुद्ध कर देंगे। हमारा घर एक ऐसा कवच है जो हर और से हमे सुरक्षा देता है। घर...
सहेली के सुझाव: घरों को कीटाणु रहित करने का आसान और सस्ते उपाय जो ...
सहेली के सुझाव: घरों को कीटाणु रहित करने का आसान और सस्ते उपाय जो ...: घरों को कीटाणु रहित करने का आसान और सस्ते उपाय जो आपके घर को शुद्ध कर देंगे। हमारा घर एक ऐसा कवच है जो हर और से हमे सुरक्षा देता है। घर...
Tuesday, March 24, 2020
घरों को कीटाणु रहित करने का आसान और सस्ते उपाय जो आपके घर को शुद्ध कर देंगे।
घरों को कीटाणु रहित करने का आसान और सस्ते उपाय जो आपके घर को शुद्ध कर देंगे।
हमारा घर एक ऐसा कवच है जो हर और से हमे सुरक्षा देता है। घर साफ़ सुथरा कीटाणु रहित हो इसके लिए हम जाने क्या क्या तरकीब अपनाते है। घर को कीटाणु रहित करने के लिए हम बढ़िया से बढ़िया फिनायल , डिटोल आदि खरीदते है। क्या आपको पता है हम बहुत ही कम दाम में अपना घर कीटाणु रहित तो कर लेंगे साथ ही कई वास्तु दोषों को भी ख़तम कर देंगे। कौन कौन से वह तरीके है आइये आपको बताते है।
नमक ------- पानी में थोड़ा सा समुद्री नमक डाल कर पोछा लगाने से फर्श पर जो कीटाणु होते है वो मर जाते है। यदि हम नमक के साथ थोड़ा नीबू और कपूर मिलाकर पोछा लगाये तो ये और भी असरकारक होता है। नमक़ ,नीबू ,और कपूर के घोल को बाथरूम और रसोई घर की टाइल साफ़ कर सकते है साथ ही इनका इस्तेमाल फिनाइल की जगह भी कर सकते है। कर सकते है। बाथरूम में एक कटोरी में साबुत नमक रखने से हवा में जो कीटाणु होते है वो हवा की नमी के साथ नमक की और आकर्षित होते है और मर जाते है। साबुत नमक घर की नकारत्मक ऊर्जा को साकारत्मक ऊर्जा में बदल देता है।
फिटकरी ------- फिटकरी के पानी में थोड़ा सा गिलोय का रस मिलाकर पोछा लगाने से घर का फर्श कीटाणु रहित हो जाता है इसका कारण फिटकरी में एंटीबैक्टीरियल गुण होते है जो कीटाणु को मरते है। यदि घर की खिड़कियों ,दरवाजों और बालकोनी में कपूर और फिटकरी के छोटे छोटे टुकड़े रख दे तो घर में कीटाणु प्रवेश नहीं करते साथ ही घर का वास्तु दोष भी दूर होता है घर में सकारत्मक ऊर्जा का प्रवेश होता है।
आयुर्वेदिक धूप का धुआँ ------- यदि घर में आयुर्वेदिक जिसमे अगर ,गुगल , कपूर ,शैलज ,आम , नीम की पत्तियाँ ,नीम की छाल ,इलाइची , चन्दन ,जटामासी ,नागरमाथा ,लोबान आदि चीजों का धुआँ करने से घर के सभी कीटाणु ख़त्म होते है साथ ही घर के वातावरण के एक प्रकार की शुद्धि आ जाती है और घर सकारात्मक ऊर्जाओं से भर जाता है।
Sunday, March 22, 2020
सहेली के सुझाव: सहेली के सुझाव: घर के मुख्य दरवाजे के वास्तु नियम ...
सहेली के सुझाव: सहेली के सुझाव: घर के मुख्य दरवाजे के वास्तु नियम ...: सहेली के सुझाव: घर के मुख्य दरवाजे के वास्तु नियम जो आपके जीवन में... : घर के मुख्य दरवाजे के वास्तु नियम जो आपके जीवन में प्रगति को राह दें...
Saturday, March 21, 2020
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सहेली के सुझाव: घर के मुख्य दरवाजे के वास्तु नियम जो आपके जीवन में...
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सहेली के सुझाव: घर के मुख्य दरवाजे के वास्तु नियम जो आपके जीवन में...
सहेली के सुझाव: घर के मुख्य दरवाजे के वास्तु नियम जो आपके जीवन में...: घर के मुख्य दरवाजे के वास्तु नियम जो आपके जीवन में प्रगति को राह देंगे और परेशानियाँ से बचाएंगे। हमारे घर का मुख्य दरवाजा हमारे जीवन पर ...
घर के मुख्य दरवाजे के वास्तु नियम जो आपके जीवन में प्रगति को राह देंगे और परेशानियाँ से बचाएंगे।
घर के मुख्य दरवाजे के वास्तु नियम जो आपके जीवन में प्रगति को राह देंगे और परेशानियाँ से बचाएंगे।
हमारे घर का मुख्य दरवाजा हमारे जीवन पर बहुत अहम् भूमिका निभाता है क्योकि ये वो स्थान होता है जहाँ से हम बाहर की दुनियां से अपने घर में प्रवेश करते है। घर बनवाते समय की चीजों का ध्यान रखना पड़ता है जिनमे से एक है घर का मुख्य दरवाजा क्योकि घर के मुख्य दरवाजे से ही घर में अच्छे और बुरे लोग प्रवेश करते है साथ ही उनके साथ सकारात्मक और नकारत्मक ऊर्जा घर में प्रवेश करती है। घर के इसी जगह से गुड़ लक और खुशियाँ आती है।जानिए घर के मुख्य दरवाजे पर दिशाओं का असर -----
यदि आपके घर का मुख्य दरवाजा सही दिशा यानि उत्तर , उत्तर पूर्व या पश्चिम दिशा में होना मतलब आपके घर में सुख समृद्धि का वास यानि महालक्ष्मी जी का वास होता है।
यदि घर का मुख्य दरवाजा पूर्व दिशा में है तो ये वास्तु के अनुसार शुभ होता है परन्तु मुख्य दरवाजे के सामने कोई अवरोध नहीं होना चाहिए नहीं तो घर के मालिक को कर्ज में डूबने की आशंका होती है।
घर का मुख्य दरवाजा हमेशा उत्तर , उत्तर पूर्व या पश्चिम दिशा में होना चाहिए। ये दिशाएँ शुभ होती है।
आग्नये कोण यानि दक्षिण -पूर्व का मध्य भाग में मुख्य दरवाजा बीमारी और गृह कलह कराने वाला होता है। इस तरह का दरवाजा प्रगति रोक देता है। घर के मुखिया की आर्थिक हानि भी करवाता है।
ईशान कोण का मुख्य दरवाजा मतलब उत्तर पूर्व दिशा में दरवाजा शुभ फल तभी देता है जब इस दरवाजे के सामने कोई दोष न हो जैसे कोई रूकावट या छाया आदि।
उत्तर दिशा में बना मुख्य दरवाजा हमेशा शुभ फल देता है घर में अन्य खिड़की और दरवाजे भी अधिकतर इसी दिशा में होने चाहिए ये दरवाजा प्रगति और खुशियाँ लाता है यदि इस दरवाजे पर कोई वास्तु दोष हो तो ये धन हानि और अन्य परेशानियाँ लाता है।
ईशान में दरवाजा भी वास्तु की दृष्टि से बहुत अच्छा माना जाता है ये दरवाजा समृद्धि , उनत्ति और खुशियाँ का खजाना है परन्तु इस दरवाजे पर अन्य कोई वास्तु दोष नहीं होने चाहिए।
घर का मुख्य दरवाजा हमेशा उत्तर , उत्तर पूर्व या पश्चिम दिशा में होना चाहिए। ये दिशाएँ शुभ होती है।
आग्नये कोण यानि दक्षिण -पूर्व का मध्य भाग में मुख्य दरवाजा बीमारी और गृह कलह कराने वाला होता है। इस तरह का दरवाजा प्रगति रोक देता है। घर के मुखिया की आर्थिक हानि भी करवाता है।
ईशान कोण का मुख्य दरवाजा मतलब उत्तर पूर्व दिशा में दरवाजा शुभ फल तभी देता है जब इस दरवाजे के सामने कोई दोष न हो जैसे कोई रूकावट या छाया आदि।
उत्तर दिशा में बना मुख्य दरवाजा हमेशा शुभ फल देता है घर में अन्य खिड़की और दरवाजे भी अधिकतर इसी दिशा में होने चाहिए ये दरवाजा प्रगति और खुशियाँ लाता है यदि इस दरवाजे पर कोई वास्तु दोष हो तो ये धन हानि और अन्य परेशानियाँ लाता है।
ईशान में दरवाजा भी वास्तु की दृष्टि से बहुत अच्छा माना जाता है ये दरवाजा समृद्धि , उनत्ति और खुशियाँ का खजाना है परन्तु इस दरवाजे पर अन्य कोई वास्तु दोष नहीं होने चाहिए।
घर का मुख्य दरवाजा बनवाते समय इन बातों का रखे ध्यान ------
घर के मुख्य दरवाजे पर किसी पेड़ , दीवार या किसी अन्य प्रकार की छाया नहीं पड़नी चाहिए।
घर का मुख्य दरवाजा घर के बीच में नहीं होना चाहिए ये घर में कलेश का कारण हो सकता है।
घर के मुख्य दरवाजे पर सजावटी कोई बेल पौधा नहीं होना चाहिए।
घर का मुख्य दरवाजा हमेशा अंदर की तरफ खुलना चाहिए।
घर के मुख्य दरवाजे के सामने कोई सीढ़ी नहीं होनी चाहिए।
घर में सभी दरवाजों की संख्या सम होनी चाहिए।
घर का मुख्य दरवाजा अन्य दरवाजों से बड़ा होना चाहिए।
हमेशा घर में दो प्रवेश करने के दरवाजे होने चाहिए एक छोटा और एक बड़ा।
घर का प्रवेश का दरवाजा एकदम कोने में नहीं होना चाहिए।
घर का मुख्य दरवाजा कभी भी एक पल्ले वाला नहीं होना चाहिए बल्कि दो पल्ले वाला होना चाहिए।
मुख्य दरवाजे के पास कूड़ेदान या टूटा फूटा स्टूल या कुर्सी नहीं रखनी चाहिए।
घर का मुख्य दरवाजा रोड से ऊँचा होना चाहिए।
घर के मुख्य दरवाजे पर कभी भी शीशा न लगाये।
घर के मुख्य दरवाजे पर हरे पौधे सजाये।
घर का मुख्य दरवाजा हमेशा 90 डिग्री में खुलना चाहिए।
ध्यान रखे कि दरवाजों से आवाज न आये इसलिए दरवाजों में नियमित रूप से तेल देते रहे।
घर के मुख्य दरवाजे पर चमकदार नेमप्लेट लगाए। नेम प्लेट जितनी साफ़ और चमकदार होगी उतनी ही नकारत्मक ऊर्जा दूर रहेगी।
यदि घर के बाहर मुख्य दरवाजे पर बंदरवार आदि सजाते है तो इससे घर में नकारत्मक ऊर्जा प्रवेश नहीं करती है।
घर के मुख्य दरवाजे पर क्रिस्टल बॉल और लाल फीता बांधने से घर में नकारात्मक ऊर्जा घर में प्रवेश नहीं करती है।
मुख्य दरवाजे पर गणेश जी की प्रतिमा या मूर्ति और फूल अच्छी ऊर्जा को आमंत्रण देते है तथा नकारत्मक ऊर्जा को रोक देते है।
मुख्य दरवाजे पर यदि लाल रंग के सिंदूर से ॐ ,त्रिशूल या स्वस्तिक बनाये तो घर में सुख और समृद्धि आती है।
घर में सभी दरवाजों की संख्या सम होनी चाहिए।
घर का मुख्य दरवाजा अन्य दरवाजों से बड़ा होना चाहिए।
हमेशा घर में दो प्रवेश करने के दरवाजे होने चाहिए एक छोटा और एक बड़ा।
घर का प्रवेश का दरवाजा एकदम कोने में नहीं होना चाहिए।
घर का मुख्य दरवाजा कभी भी एक पल्ले वाला नहीं होना चाहिए बल्कि दो पल्ले वाला होना चाहिए।
मुख्य दरवाजे के पास कूड़ेदान या टूटा फूटा स्टूल या कुर्सी नहीं रखनी चाहिए।
घर का मुख्य दरवाजा रोड से ऊँचा होना चाहिए।
घर में मुख्य दरवाजे से कोई वास्तु दोष न हो तो करे ये काम ---
घर के मुख्य दरवाजे पर हमेशा चमकदार रोशनी रखे पर लाल रंग की रोशनी न लगाये।घर के मुख्य दरवाजे पर कभी भी शीशा न लगाये।
घर के मुख्य दरवाजे पर हरे पौधे सजाये।
घर का मुख्य दरवाजा हमेशा 90 डिग्री में खुलना चाहिए।
ध्यान रखे कि दरवाजों से आवाज न आये इसलिए दरवाजों में नियमित रूप से तेल देते रहे।
घर के मुख्य दरवाजे पर चमकदार नेमप्लेट लगाए। नेम प्लेट जितनी साफ़ और चमकदार होगी उतनी ही नकारत्मक ऊर्जा दूर रहेगी।
यदि घर के बाहर मुख्य दरवाजे पर बंदरवार आदि सजाते है तो इससे घर में नकारत्मक ऊर्जा प्रवेश नहीं करती है।
घर के मुख्य दरवाजे पर क्रिस्टल बॉल और लाल फीता बांधने से घर में नकारात्मक ऊर्जा घर में प्रवेश नहीं करती है।
मुख्य दरवाजे पर गणेश जी की प्रतिमा या मूर्ति और फूल अच्छी ऊर्जा को आमंत्रण देते है तथा नकारत्मक ऊर्जा को रोक देते है।
मुख्य दरवाजे पर यदि लाल रंग के सिंदूर से ॐ ,त्रिशूल या स्वस्तिक बनाये तो घर में सुख और समृद्धि आती है।
Friday, March 20, 2020
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Wednesday, March 18, 2020
घर में ऐसे लाएं सकारत्मक ऊर्जा जो आपकी खुशियाँ का रास्ता है।
घर में ऐसे लाएं सकारत्मक ऊर्जा जो आपकी खुशियाँ का रास्ता है।
हर कोई चाहता है कि उसका घर ऐसा हो जो सुकून और खुशियाँ से भरा हो। हम अपने खुश रहने के लिए तरह रहने के लिए तरह तरह के उपाय करते है ताकि घर खुशियों और सुकून से भरा हो और उसमे सकारत्मक ऊर्जा का प्रवाह होता रहे। आप भी यदि अपने घर को ऐसी ही सकारत्मक ऊर्जा चाहते है तो ये उपाय आप के बहुत काम आएँगे।महकती रोशनी ---- यदि घर में आप सेंट वाली मोमबत्ती की रोशनी करे तो ये महकती रोशनी आपके तन और मन में शांति और सुकून भर देगी और आपका मन खुश हो जायेगा। यदि ये सेंट फ्लोरल और वनीला की हो तो क्या बात है।
सुन्दर पौधे घर में सजाये ----- पौधें तो आप घर के बाहर सजाते हो पर कुछ सुन्दर पौधें आप अपने घर के अंदर भी सजाये। घर के अंदर पौधें रखने से आप को दोहरा फायदा होगा एक घर की हवा से विषैले तत्व खत्म होंगे और घर की हवा शुद्ध होगी । दूसरा आप के घर में सकारत्मक ऊर्जा का प्रवाह होगा। सकारत्मक ऊर्जा का मतलब घर में खुशियों का आना है।
घर के दीवारों पर सुन्दर तस्वीरें सजाये। ----- घर की दीवारों पर सुन्दर सुन्दर तस्वीरें मन का तनाव दूर करती है। कुछ वास्तु के अनुसार तस्वीरें जैसे साथ घोड़ों का चित्र जो घर में सकारत्मक ऊर्जा का प्रवाह करते है , को लगाने से घर में सकारत्मक बदलाव आते है जो हमारी ख़ुशी का कारण होते है।
पक्षियों के सुन्दर और मीठी आवाजें ---- घर के आँगन या बरामदे में पक्षियों के लिए खाना और पानी रखे। इससे सुन्दर -सुन्दर पक्षी आपके आँगन में आकर सुन्दर मीठी आवाजों से आपके मन को तो मोह लेंगे साथ ही इनकी मीठी आवाजों से घर में सकारत्मक ऊर्जा का प्रवाह होने लगता है। पक्षियों को खाना और पानी देने से आपके ग्रह भी मजबूत होंगे जो आपके जीवन को प्रगति की राह पर ले जायेगे।
सजाये अपने घर में फैमिली फोटो ----- अपने घर की एक दीवार पर फैमिली फोटो को जरूर सजाये क्योकि जब जब आप इन फोटो को देखते हो तो आपका मन सुनहरी यादों में चला जाता है। फैमिली फोटो में आपके जिंदगी के अनुभव भी छिपे होते है जो आपके मूड को बूस्ट करते है।
घर में तरह तरह की खुशबों का इस्तेमाल करे --- जैसे हम पूजा करते है तो खुशबूदार अगरबत्ती और धुप जलाते है ताकि हमारा मन इन खुशबू से खुशनुमा हो जाये और इसी खुशनुमा मन से हम ईश्वर से प्रार्थना करते है तो ईश्वर भी हमारी प्रार्थना सुनता है तो यदि हम अपने घर के हर हिस्से में खुशबू का प्रयोग करे तो इन खुशबुओं की अरोमा हमारे मन को कितना खुश कर देगी इस का अनुभव तो इस प्रयोग को अपनाकर किया जा सकता है।
रोज अपने घर में धूप का स्वागत करे ----- घूप हमारे लिए कितनी जरुरी है ये तो आप जानते ही है। घर में धूप का आने का मतलब घर के अंदर सकारात्मक ऊर्जाओं का प्रवेश करवाना होता है। धूप आपके शरीर के विटामिन डी के स्तर को भी सही रखेंगे जिससे आप बिमारियों से दूर रहेंगे। स्वस्थ शरीर ही खुशहाल जिंदगी का राज है। आप अपने घर में कुछ देर धूप जरूर आने दे।
आकर्षक रंगों का प्रयोग ---- अपने घर में सुन्दर और आकर्षक रंगों का प्रयोग करे क्योकि रंग हमारे मूड और व्यवहार को बहुत प्रभावित करते है। सुन्दर आँखों को प्रिये रंगो को प्रयोग हमारी जिंदगी में सकारत्मक परिवर्तन लाता है। इस लिए अपने घर में परदे ,सोफे ,दीवारों आदि के रंग ऐसे चुने जो आपके मूड को खुशनुमा करे और आपको सुकून दे।
खोले अपने भर की खिड़कियाँ ----- अकसर लोग अपने घर की खिड़कियाँ बंद करके रखते है जिससे घर में ताजी हवा नहीं आ पाती है। बंद खिड़कियों से घर में प्राकर्तिक रोशनी का अभाव होता है। प्राकर्तिक रोशनी से सेरोटोनिन नाम का हार्मोन बढ़ता है हमारे मन को खुश रखने का काम करता है। इसलिए दिन में चाहे थोड़े समय के लिए ही सही अपने घर की खिड़कियाँ जरूर खोले।
व्यवस्थित घर ------- यदि घर व्यवस्थित नहीं है तो ये भी आपके मन को सकून नहीं लेने देगा। आपने घर और घर के चारों और के वातावरण को व्यवस्थित रखे। जब घर व्यवस्थित होगा तो आपके मन को सकून और चैन मिलेगा। यही तो हमारी खुशिओं की वजह है।
Tuesday, March 17, 2020
ऐसे खाना खाना सेहत नहीं आपको बीमार कर देता है।
ऐसे खाना खाना सेहत नहीं आपको बीमार कर देता है।
अच्छा और स्वास्थ्यवर्धक खाना सेहत देता है पर यदि हम इसी खाने को गलत तरीके से खाये तो ये पोषण की जगह बीमार कर देता है। आज हम आप को खाना खाने की वो गलतियाँ बताते है जो हमारे शरीर को नुकसान देती है।
फलों के साथ पका हुआ खाना खाना ----- फलों के साथ पकाया हुआ खाना नहीं खाना चाहिए इसका कारण फलों में अल्काइन और सिंपल शुगर होने के कारण ये आसानी से पच जाते है और ये हमारे शरीर में ऊर्जा प्रदान करते है। पके हुए खाने में प्रोटीन , कार्बोहायड्रेट ,फैट आदि कई पोषक तत्व होते है जो पचने में काफी समय लेते है इस कारण देर से ऊर्जा मिलती है। पके खाने के बाद यदि फल खाते है तो ये पके खाने के बाद पचता है ये जब तक पेट पड़ा रहता है जब तक पका खाना पच नहीं जाता है। जिसके कारण गैस ,एसिडिटी और ब्लोटिंग आदि जैसी समस्या हो सकती है।
कभी भी खाना खाने के साथ पानी नहीं पीना चाहिए ------ खाना खाने के साथ पानी पीने की आदत कई लोगो की होती है जो बहुत नुकसानदेय है। जब भी हम खाना खाते है तो हमारा शरीर कुछ पाचक रस का बनता है जो खाना पचाने का काम करते है। यदि हम खाने के ,साथ पानी पियेंगे तो पाचक रस पानी में घुल कर शरीर से बाहर निकल जायेगे और शरीर में खाना सही ढंग से नहीं पचेगा। खाना यदि सही ढंग से न पचे तो शरीर पोषकतत्वों को अवशोषित नहीं कर पायेगा।
फलों के साथ दही का सेवन करना ---- फलों के साथ दही का सेवन हमारी सेहत के लिए बहुत हानिकारक होता है इसका कारण ये है की इन्स्टेनल फ़्लोरा एक तरह का बैक्टरिया है जो ये हमारी पाचन क्रिया में मदद करता है। यदि इस बैक्टरिया में कोई बदलाव होता है तो शरीर में टॉक्सिन बनाना शुरू हो जायेगे जिसके कारण गला ख़राब , खांसी ,फ्लू ,साइनस एलर्जी आदि की समस्या बढ़ जाएगी।
घी और शहद का सेवन ----- हमारी आयुर्वेद में घी और शहद का सेवन जहर के समान माना गया है। इसका कारण ये है कि घी की तासीर ठंडी और शहद की तासीर गर्म होती है। जिससे दोनों के पोषक तत्व एक दूसरे को काटते है जिसके कारण पेट दर्द और सर दर्द की शिकायत हो सकती है। शहद को मछली ,चीनी और घी के साथ कभी न ले ये बहुत हानिकारक हो सकता है।
Monday, March 16, 2020
गुलाब का फूल सबको तो बहुत प्रिय है पर क्या आप इसके गुणों को जानते है ?
गुलाब का फूल सबको तो बहुत प्रिय है पर क्या आप इसके गुणों को जानते है ?
गुलाब के फूल पूरे भारत में पाए जाते है। गुलाब का फूल को फूलों का राजा कहा जाता है। शायद ही कई ऐसा होगा जिसे गुलाब का फूल पसंद न हो। गुलाब की फूल की खशबू हमारे तन और मन पर गहरा प्रभाव छोड़ती है। गुलाब के फूल केवल पूजा और सजावट के लिए नहीं होते है बल्कि ये हमारे शरीर के कई परेशानियाँ को दूर कर सकते है। गुलाब आयुर्वेद चिकित्सा में बहुत भी काम आते है। गुलाब का फूल एक जड़ीबूटी है जो अनेकों काम आती है।गुलाब के फूल के औषधीय गुण ----
* गुलाब का फूल जितना सुन्दर होता है उतने ही इसमें ओषधीय गुण पाए जाते है।
* गुलाब के फूलों का स्वाद तीखा,कसैला ,मीठा और चिकना होता हैं। इसके इस्तेमाल करने से दिल ,दिमाग ,और अमाश्य की शक्ति में वृद्धि होती है।
* गर्मियों के मौसम में तन को ठंडा और मन को प्रसन्न रखता है। ये वात पित को नष्ट करता है। गुलाब का फूल हमारी एंड्रीनल ग्रंथि को प्रभवित करते है और ये हमारे शरीर को ऊर्जा से भर देते है।
* गुलाब के फूल की तासीर ठंडी होती है। गुलाब के फूल में भरपूर विटामिन सी होता है।
* गुलाब के फूलों का रस खून को साफ़ करता है।
* गुलाब के फूलों के रस से बना शरबत दिमाग को ठंडा और शक्ति देता है।
* गुलाब की फूल की सुगंध एरोमा थैरेपी में इस्तेमाल की जाती है।
* गुलाब के फूलों से बना उबटन से चेहरे पर निखार आता है।
* गुलाब के फूलों से बना गुलाब जल आँखों को ठंडक देता है और आँखों को फ्रेश कर देता है।
* गुलाब की फूलों को खाने के मुँह की दुर्गन्ध दूर होती है,मसूड़े मजबूत होते है। पायरिया के रोग में बहुत लाभ देता है।
* गुलाब के फूलों को पीस कर लगाने से सिरदर्द में लाभ होता है।
* यदि बुखार कम नहीं हो रहा है तो गुलकंद का प्रयोग करने से बुखार कम हो जाता है।
* गुलाब के फूलों से टीबी के रोग के उपचार में मदद मिलती है इसका सेवन करने से रोग जल्दी ठीक हो जाता है।
* गुलाब जल एक बहुत अच्छा टोनर है ये त्वचा की झुर्रियों को कम करता है साथ ही त्वचा को स्वस्थ और चमकदार बनता है।
* गर्मियाँ में यदि शरीर में जलन और अधिक प्यास लगती हो तो गुलाब का शरबत बहुत फायदा करता है।
* गुलाबजल एक कीटाणुनाशक भी है। यदि आप तेज तेज धूप में निकलते है तो गुलाबजल का इस्तेमाल अपने त्वचा पर करे इसे आपकी त्वचा पर धूप का असर नहीं होगा और आपका शरीर कीटाणुओं से बचा रहेगा।
यदि आपको थकान और जोड़ों और शरीर में दर्द होता है तो ये जानकारी आपके लिए है।
यदि आपको थकान और जोड़ों और शरीर में दर्द होता है तो ये जानकारी आपके लिए है।
व्यस्त जीवन शैली में लोगों का धूप में बैठना एक सपना हो गया है। जिससे शरीर में विटामिन डी की कमी देखने को मिलती है। विटामिन डी हमारी हड्डियों की मजबूती के लिए बहुत जरुरी है। विटामिन डी फैट में घुलनशील प्रो हार्मोन का ग्रुप है,जब हमारी त्वचा धुप के सम्पर्क में आती है तो विटामिन डी का निर्माण होता है। ये एक ऐसा विटामिन है जिसको हमारा शरीर खुद निर्माण करता है। विटामिन डी का काम हड्डियों में कैल्शियम को बनाये रखना होता है और हड्डियों के मजबूती भी इसी विटामिन की वजह से होती है।
क्यों जरुरी होता है विटामिन डी शरीर में --- विटामिन डी शरीर में हड्डियों और लिगामेंट्स की मजबूती को बनता है। ये नर्वस और मसल्स को कोडिनेट करता है। विटामिन डी हमारे शरीर के इम्यून सिस्टम को बढ़ता है। क्या होता है विटमिन डी की कमी से ? ------- विटामिन डी की कमी से शरीर में अनेकों परेशानियाँ उत्पन होती है। शरीर थका- थका सा रहता है। जोड़ों और पीठ में दर्द रहता है। मेटल हेल्थ खराब हो जाती है। मसूड़ों से संबंधित परेशानियां बढ़ जाती है। इसकी कमी से कई बार पाचन सम्बन्धी विकार भी उत्पन हो सकते है। इसकी कमी से मरीज डिप्रेशन में भी जा सकता है। महिलाओं में पीरियड में अनियमिता और बाँझपन की समस्या हो सकती है।
विटमिन डी की कमी को कैसे दूर किया जाये ?------ सबसे आसान और सस्ता उपाय सुबह की धूप है। विटामिन डी को सनशाइन विटामिन ही कहा जाता है। इसलिए सुबह की धूप जरूर ले।
विटामिन डी के लिए मछली खासतौर पर सॉल्मन और टूना और अंडे का पीला भाग का सेवन करने से।
डेरी प्रोडक्ट्स जैसे दूध ,दही , पनीर आदि का सेवन करने से।
गाजर विटामिन डी का शाकाहारी लोगों का अच्छा स्रोत है। गाजर और गाजर का रस का सेवन करना चाहिए।
कॉड लिवर आयल यानि मछली के तेल में विटामिन डी बहुत अच्छी मात्रा में होता है इन गोलियां का सेवन करना चाहिए।
मशरूम और मखाने के सेवन करने से विटामिन डी की समस्या कम होती है।
विटामिन डी की कमी में क्या इलाज है ---- विटामिन डी की कमी के लिए 25 हाईडॉक्सी विटामिन डी ब्लड टेस्ट करा कर देखा जाता है की शरीर में विटामिन डी का क्या स्तर है। यदि शरीर में विटमिन डी कम है तो डॉक्टर कुछ दवाएँ देते है जिसे शरीर में विटामिन डी का सुधर होता है।
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March
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