टी -20 की भारतीय महिला क्रिकेटर जिन्होंने साबित कर दिया की वह पुरषों से कम नहीं
देश कि इन महिला क्रिकेट टीम ने साबित कर दिया कि जीवन में चाहे कितनी भी मुश्किल आये उनका हौसला नहीं तोड़ सकती ये अपनी किस्मत खुद अपनी मेहनत के दम पर लिख सकती है। आइये आप का परिचय करते है इन सुपरस्टार बेटियों से जो टी -20 क्रिकेट की दुनिया में पहली बार फ़ाइनल खेलेंगी। स्मृति मंघना -----ये मुंबई महाराष्ट्र से है। ये टीम की मजबूत बल्लेबाज है। इनकी बल्लेबाजी में पकड़ मजबूत है। बड़े भाई को क्रिकेट खेलते देख इनमे भी क्रिकेट खेलने की इच्छा जागी। ये आईसीसी की टीम में शामिल होने वाली एकमात्र भरतीय महिला खिलाडी रही है।
पूनम यादव --- पूनम यादव उत्तरप्रदेश आगरा से है। ये लेग स्पिनर है। पूनम यादव एक रिटायर्ड सूबेदार मेजर की बेटी है। आठ साल की थी जब से इन्होने क्रिकेट खेलना शुरू किया। लोगो ने बहुत ताने मारे और इनके पिता ने इनका क्रिकेट खेलना बंद करा दिया जब इनके कोच हेमलता काला ने इनके पिता को समझाया तब इनको क्रिकेट खेलने में छूट मिली। इनके शानदार खेल से लोगों की बोलती बंद हो गयी। हाल में इनको अर्जुन अवार्ड से नवज़ा गया है।
जेमिमा रोडिगेज --- जेमिमा मुंबई से है ये टीम में बल्लेबाज है। इनके पिता का सपना था की ये एक खिलाड़ी बने। इन्होने चार साल की उम्र से क्रिकेट खेलना शुरू कर दिया था। ये हॉकी की भी अच्छी खिलाडी रही है साथ ही ये अच्छी डांसर और गायिका भी है।
शेफाली वर्मा --- इनका संबंध हरियाणा के रोहतक से है। मात्र 16 साल की उम्र की ये क्रिकेट खिलाडी टीम की सबसे मजबूत खिलाडी है। सिर्फ साढ़े पांच महीने के करियर में ये टी -20 रैंकिंग में नंबर वन खिलाडी है। ये तूफानी तेवरों से 'लेडी सहवाग 'के नाम से मशहूर हो रही है। इनके कोच इनके पापा थे जिन्होंने इन्हे इस खेल की बारीकियों को सिखाया। इन्होने सचिन को खेलते देख कर क्रिकेटर बनने की ठानी।
राधा यादव ---- ये मुंबई की कांदीवली से है। ये टीम में एक स्पिनर है। इनका सफर बहुत कठिन रहा है। इन्होने कड़ी मेहनत के दम झुग्गी से निकल कर राष्ट्रीय क्रिकेट टीम का सफर तय किया है। इन्होने छह वर्ष की उम्र से खेलना शुरू किया था। इनके पिता छोटी सी सब्ज़ी की दुकान लगते थे और उनके ऊपर परिवार के नौ लोगों की जिम्मेवारी थी इसलिए इनके पास इतने पैसे भी नहीं थे की वो बल्ला खरीद । इनकी लग्न और परिश्रम देख कर इनके कोच ने इनकी मदद की और ये एक सफल खिलाडी बन गयी।
हरमन कौर--इनका संबंध पंजाब के मोगा जिले से है। ये दूसरी भारतीय कप्तान है। ये महेंद्र सिंह धोनी के बाद टी 20 विश्व कप फाइनल मैच में कप्तानी करेगी। इनके पिता बास्केट बॉल , वॉलीबॉल और क्रिकेट के खिलाडी रहे है। क्रिकेट का शौक इनके लिए आसान नहीं था। ये वीरेंद्र सहवाग से प्रभावित रही है और ये उन्ही के अंदाज में खेलती है। इन्होने विश्व कप में अकेले के दम पर अपनी टीम को फ़ाइनल में पहुंचाया है।
दीप्ती शर्मा --- ये आगरा यूपी से संबध रखती है। क्रिकेट खेलने की कारण तीन बार इनकी दसवीं की परीक्षा छूट गयी। ये बहुत जिद्दी थी और घरेलू क्रिकेट में अच्छा प्रदर्शन करने में बाद ही ये टी 20 टीम में मजबूत खिलाडी बनी।
राजेश्वरी गायकवाड़ -- ये बीजापुर कर्नाटक से है। इनका क्रिकेटर बने का श्रेय इनके पिता को जाता है। इनके पिता चाहते थे की ये क्रिकेटर बने। 18 साल की उम्र के बाद इन्होने क्रिकेट को गंभीरता से लिया।
शिखा पांडे ---- इनका संबंध करीमनगर गोवा से है। तेज गेंदबाज़ है अपनी टीम में। इनके पिता अध्यापक ने इन्हे ये सीख दी थी की ' अपने सपने को बर्बाद मत होने देना'। पांच साल की उम्र से इन्होने क्रिकेट खेला। इन्होने लड़का बनकर क्रिकेट खेला। इनके परिवार ने इनका पूरा साथ दिया। क्रिकेट के साथ इनके पास इंजीनिरिंग की डिग्री भी है।
तानिया भाटिया ---- ये चंडीगढ़ से है। ये टीम में विकेटकीपर है। इनके पिता भी एक क्रिकेटर थे। इन्होने परिवार की परंपरा को आगे बढ़ाया। इन्होने अपनी ट्रेनिंग भारतीय महान बल्लेबाज़ युवराज सिंह के पिता योगराज के पास की। 11 साल की उम्र में ये पंजाब अंडर -19 टीम में अपनी जगह बनाई।
वेदा कृष्णमूर्ति --- ये चिकमगलूर कर्नाटक से है। टीम में येधुंरधर बल्लेबाज है। इन्होने कठिन परिस्तितियों से लड़ कर क्रिकेटर बने का सपना पूरा किया । इनके पास क्रिकेट खेलने के लिए अच्छी सुविधाएं नहीं थी। कर्नाटक इंस्टीटूयट ऑफ़ क्रिकेट के डायरेक्टर इफ़रान सेठ ने इनकी प्रतिभा को निखारा। ये मार्शल आर्ट की चैम्पियन भी रह चुकी है। इन्होने 12 साल की उम्र में ब्लैक बेल्ट हासिल की।
हरलीन देओल ---- ये चंडीगढ़ से है। अपनी टीम में ये आलराउंडर है। इनका सम्बन्ध मध्य्वर्गी परिवार से है।
इनका सपना क्रिकेटर बनने का था। ये घर पर ही अपने भाई के साथ खेलती थी बाद में इन्होने अन्य लड़कों के साथ खेलना शुरू कर दिया। कई लोगो ने इनके क्रिकेट खेलने पर एतराज जताया पर इनके परिवार ने इनका साथ दिया।
पूजा वस्त्रकार -- इनका संबंध शहडोल मध्य प्रदेश से है। ये एक तेज गेंदबाज़ है। दस साल की उम्र में इनकी माँ का साया इनसे छूट गया। सात भाई बहनो में सबसे छोटी पूजा का सफर काफी तकलीफ भरा रहा है। बचपन से इन्होने खुद को संभालना सिख लिया था क्रिकेट ही इनका सबसे बड़ा सहारा रहा है। ये बल्लेबाज़ बनना चाहती थी पर इनके कोच ने इन्हे गेंदबाज़ी बनने की सलाह दी और इन्होने तेज गेंदबाजी को अपनाया।
अरुंधति रद्दी -- ये हैदराबाद से है। ये मध्यमगति की तेज गेंदबाजी करती है। 12 साल की उम्र में इन्होने अपने भाई के साथ क्रिकेट खेलना शुरू किया। ये पढाई में होशियार थी। सब इनको सलाह देते थे की ये अपनी पढाई करे क्रिकेट छोड़ दे पर इन्होने क्रिकेटर बनने का निश्चय किया। इनकी माँ ने इन्हे क्रिकेटर बनने के प्रेरणा दी और इनका साथ भी दिया।
ऋचा घोष --- ये सिलीगुड़ी पश्चिम बंगाल से है। भारतीय टीम में जगह बनाने के लिए इन्होने काफी मेहनत की क्योकि राष्ट्रीय टीम में जगह बनना बहुत मुश्किल होता है। इन्होने बल्लेबाजी ,गेंदबाजी , विकेट कीपिंग में खुद को पारंगत किया। ये टीम में जबरदस्त फील्डर है।
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