महिला दिवस पर महिलायें ले खुद से एक वादा नहीं जियेगी वो समझौतों के साथ
हर साल महिला दिवस आता है लोग सिर्फ एक दूसरे को अच्छे अच्छे मैसेज देते है या कुछ जगहों पर कार्यकर्मो का आयोजन होता है और फिर बात ख़तम। क्या हुआ महिला दिवस के आयोजन का ? हम महिलाओं के जिंदगी में क्या फर्क आया ? कुछ नहीं। कुछ नहीं बदलेगा जब तक हम नहीं चाहेंगे क्योकि बदलाव करवाने से पहले बदलाव हमे अपने अंदर लाना होगा। हमे क्या पहनना है ,क्या खाना है किससे दोस्ती रखनी है आदि बाते ये फैसला केवल आप का है इसमें किसी और की राय नहीं मान्य रखती है। आज महिला दिवस के अवसर पर एक चाय की कप के साथ ये लाइने जोर जोर से पढ़े यकीन मानना आपके अंदर आत्मविश्वास बढ़ जायेगा।मैं जैसी दिखती हूँ ,वैसी ही हूँ। मैं अपने आप को ऐसे ही अच्छी लगती हूँ। मुझे किसी के लिए नहीं बदलना नहीं है।
यदि मेरी पसंद की कोई ड्रेस है तो मुझे उस ड्रेस के लिए अपना रंग , रूप , शरीर का आकार नहीं बदलना। मुझे अपनी सोचे फैशन में क्या चल रहा है ? पर नहीं सोचना। मुझे जो अच्छा लगता है मै वही पहनूँगी।
मुझे इस बात से फर्क नहीं पड़ता की मेरे दोस्त शादीशुदा है या कुँआरे या तलाकशुदा, मै अपनी कोई भी राय इन आधार पर नहीं बनाऊँगी। मेरे दोस्त यदि मुझे समझते है और हर परिस्थिति में मेरा साथ देते है तो वो अच्छे है।
मैं अपने रिश्ते अपने परिवार वालों के साथ और अपने मित्रों साथ खुद बनाउंगी इसपर मेरे परिवार वाले मुझ पर अपनी मर्जी नहीं थोप सकेंगे।
मैं अपना बच्चा कब चाहती हूँ ये निर्णय मेरा है इसपर मैं किसी से बात नहीं करना चाहती हूँ या किससे बात करू ये मेरा निर्णय है।
मै कितना कमाती हूँ और अपनी कमाई का क्या करती हूँ ये मेरा निजी विषय है दुसरो को इस बारे में बोलने का कोई हक़ नहीं।
मैं अपनी नजर में सफल होना चाहती सबसे पहले चाहे घर में हो या करियर में।
मैं अपनी खुशियों का खुद ही हिसाब किताब नहीं रखती हूँ कभी कभी मुझे रोना भी अच्छा लग सकता है।
मैं अपने परिवार और आसपास की स्त्रियों को गर्व से देखती हूँ और अपने आप को सबसे पहले।
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