हम अगरबत्ती भगवान के सामने क्यों जलाते है ?
अगरबत्ती का पूजा में इस्तेमाल सदियों से चला आ रहा है। पूजा में हम अकसर अगरबत्ती का इस्तेमाल उसकी ख़ास तरह की सुगंध के लिए करते है। अगरबत्ती का प्रयोग हिन्दू और मुस्लिम अपनी अपनी पूजा में करते है। इसके पीछे कई कारण है।
पूजा में जब भी हम अगरबत्ती का इस्तेमाल करते है तो अगरबत्ती से निकलने वाला सुगंधित धुआँ आसपास के वातावरण में चारो और फैलता है जिससे वातावरण शुद्ध और सुगंधित होता है साथ ही नकारत्मक ऊर्जा नष्ट होती है। लोगों का ये भी मानना है की अगरबत्ती के धुएं के छल्ले सीधे भगवान तक भक्त की पूजा को ले जाते है। मन शांत और भगवान की भक्ति में लगता है।
अगरबत्ती का इस्तेमाल प्राकर्तिक चिकित्सा में भी क्या जाता है। अगरबत्ती के धुंए से हमारे दिमाग़ पर सकारात्मक असर पड़ता है। अगरबत्ती के सुगंध से हमारा मन शांत हो जाता है। अगरबत्ती के धुएँ से वातावरण के हानिकारक बैक्टीरिया भी समाप्त हो जाते है। वातावरण में से दुर्गन्ध ख़त्म होती है।
अगरबत्ती का प्रयोग सदियों से एरोमा थैरेपी के लिए भी किया जाता है। किसी खास रोग के लिए खास तरह की सुगंध का इस्तेमाल करके रोगी का इलाज किया जाता है। ज्यादातर इसतरह की थैरेपी का इस्तेमाल मानसिक रोगों के निदान के लिए किया जाता है।
कुछ लोग अब मानने लगे है की अगरबत्ती के धुएं से हवा अशुद्ध होती है और इसके धुंए से कैंसर हो सकता है पर मेरा मानना ये गलत है। अगरबत्ती यदि हानिकारक होती है तो इसका एक कारण अगरबत्ती बनाने के लिए इस्तेमाल में होने वाली सामग्री है। कई लोग अगरबत्ती को बनाने के लिए सस्ते सामान जैसे प्लास्टिक , घटिया सुगंध का इस्तेमाल करते है जो की गलत है। यदि अगरबत्ती को गूगल , चन्दन गुलाब के सूखे फूलो आदि से बनाया जाये तो ये हमारे वातावरण की शुद्ध करती है।
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