लम्बे समय तक जवां रहना है तो इन बातों पर दो ध्यान
जिंदगी कब बचपन की मासूमियत से जवानी की अटखेलियों खेलती प्रौढ़ावस्था की और चली जाती है पता ही नहीं चलता। उम्र के हर पड़ाव पर जिस तरह जिंदगी करवटें बदलती है ,उसी तरह हमारी त्वचा भी अपना रूप और रंग बदलती रहती है। जब बढ़ती उम्र हमारे चेहरे पर चुगली से करती है तो ये दौर काफी बेचैनी भरा होता है क्योंकि हम सभी की इच्छा होती है हमारी त्वचा हमेशा जवां बनी रहे उम्र का उस पर कोई असर न दिखे।क्या कारण है लोगों का उम्रदराज दिखने का ---- कई शोधों से पता चला है कि हमारी बढ़ती उम्र के साथ हमारी कार्यक्षमता भी कम होने लगती है। जिसका कारण शरीर के लिए एक आवश्यक तत्व माइलिन की कमी होना होता है। शरीर में माइलीन की कमी का कारण हमारे ख़राब जीवन शैली हो सकती है। यही से शुरू हो जाता है एजिंग से त्वचा की प्रॉब्लब।
क्या होती है एजिंग साइन के लक्षण ------ तीस की उम्र के बाद ही चेहरे पर एजिंग की चिन्ह नजर आने लगते है। जिसका कारण सूरज की तेज धूप का प्रभाव भी हो सकता है। सूरज की तेज धूप हमारी त्वचा को बहुत नुकसान पहुँचती है। जिससे त्वचा पर काले काले निशान या धब्बे नजर आते है। त्वचा पर सूरज की धूप का कोई असर न हो इसके लिए हम कोई भी सनस्क्रीन लोशन का इस्तेमाल करने लगते है जिससे हमारी त्वचा को उतना फायदा नहीं पहुँचता है।
त्वचा की लिए सनस्क्रीन का चुनाव ------- त्वचा को धूप के कुप्रभाव से बचने के लिए सही सनस्क्रीन का इस्तेमाल करना जरुरी होता है। सनस्क्रीन लेते समय एसपीएफ के लेवल पर ध्यान देना चाहिए। एक शोध के अनुसार उम्र से पहले त्वचा पर झुर्रियाँ ,फाइन लाइन्स ,झाइयों का सबसे बड़ा कारण यूवी किरणे होता है ज्यादा देर तक धूप में रहने से त्वचा में कालापन आ जाता है। इससे बचने के लिए हमें सन प्रोटेक्शन फैक्टर यानि एसपीएफ की सही जानकारी होना है। सूरज की किरणों और प्रदूषण से बचने के लिए एसपीएफ 15 से एसपीएफ 30 तक वाले सनस्क्रीन लोशन ज्यादा असरकारक होते है। जितना ज्यादा एसपीएफ का नंबर होता है उतना ही ज्यादा प्रभावशाली होता है। एक बार सनस्क्रीन लोशन के इस्तेमाल के बाद 4 से 5 घंटों तक आप पर धूप का
असर नहीं होता है।
सबसे बड़ी बात ये है की एसपीएफ सिर्फ त्वचा की यूवीबी किरणों से त्वचा की रक्षा करता है ये यूवीए किरणों पर असरदार नहीं है। यूवीए किरणें त्वचा पर सबसे ज्यादा असर डालती है। यूवीए किरणें ही त्वचा पर सनबर्न और एजिंग के लिए जिम्मेदार होती है।
जाने सही सनस्क्रीन लोशन का लगाना ----- यदि सनस्क्रीन लोशन लगाने के बाद भी त्वचा काली काली और चिपचिपी सी लगती है ,इसका मतलब सनस्क्रीन का चुनाव सही नहीं किया है।
* नार्मल त्वचा से आयल नहीं निकलता है इसलिए ऐसी त्वचा वाले लोगों को क्रीम बेस्ड सनब्लॉक लगाना सही होता है।
* जिनकी त्वचा पर मुँहासे आदि की समस्या हो यानि त्वचा तैलीय हो तो सनस्क्रीन लोशन ऑइलफ्री सही रहते है। तैलीय त्वचा पर जेल या एक्वा बेस्ड एसपीफ फॉर्मुलेशन ऑइलफ्री सनस्क्रीन लोशन का इस्तेमाल ही अच्छा है।
* यदि आपकी त्वचा ड्राई रहती है तो मॉयस्चराइजर बेस्ड सनस्क्रीन लोशन इस्तेमाल करे यदि मॉयस्चराइजर बेस्ड लोशन न हो तो पहले चेहरे पर मॉयस्चराइजर लगाए फिर लोशन लगाए।
* यदि त्वचा सेंसिटिव है तो हाइपोएलर्जेनिक लिक्विड वाली सनस्क्रीन लोशन इस्तेमाल करनी चाहिए।
* यदि सनस्क्रीन लगाने के बाद ज्यादा पसीना आता है तो अपने सनस्क्रीन को लैक्टो कैलामाइन मिला ले।
एंटी एजिंग डाइट ----- उम्र को अगर पछाड़ना है तो सही डाइट भी जरुरी होती है। हमें रोज की खाने पीने में कुछ ऐसी चीजों का चुनाव करना चाहिए जो शरीर को कमजोर होने से बचाये।
टमाटर और तरबूज का सेवन ----- टमाटर और तरबूज में लाइकोपेन होता है, जो फ्री रैडिकल्स को न्युट्रिलाइज करता है और त्वचा को कैंसर से बचाता है।
प्याज और लहसुन शरीर का कोलेस्टॉल को कम करता है साथ ही ये कई प्रकार की एजिंग प्रॉब्लम से शरीर को बचाता है और इम्यून सिस्टम को मजबूत करता है।
स्प्राउट्स और हरी सब्जियों को अपने आहार में शामिल में शामिल करना चाहिए।ब्रोकली बंदगोभी और फूलगोभी में सबसे ज्यादा एन्टीऑक्ससिडेंट होते है जो कैंसर से बचाव करते है।
चाय और डार्क चॉकलेट के एन्टीऑक्ससिडेंट शरीर को फिट रखते है।
रोज कम से कम 8 से 10 गिलास पानी पीना चाहिए इससे त्वचा में नमी बनी रहती है।
शहद , नीबू और ग्रीन टी के नियमित सेवन से शरीर में एक्स्ट्रा फैट जमा नहीं होता है।
खाने में विटामिन सी का इस्तेमाल से त्वचा में चमक बनी रहती है।
ड्राई फ्रूट्स और खट्टे फलों के सेवन से शरीर अनेकों बिमारियों से बचा रहता है साथ ही त्वचा की चमक बनी रही है।
जीवन शैली में बदलाव ----
लम्बे समय तक जवां रहने के लिए स्वस्थ जीवन शैली भी अपनानी चाहिए।
असंतुलित खानपान ----- जल्दी बुढ़ापा आने का सबसे बड़ा कारण गलत खानपान है। ज्यादातर शोधों से पता चला है जो लोग खाने में ज्यादा हरी सब्जियाँ और फलों का सेवन करते है वो जल्दी बीमार नहीं होते है और लम्बे समय तक जवां बने रहते है। ज्यादा मात्रा में फास्टफूड खाने वाले लोगों के शरीर को उतने पोषक तत्व नहीं मिल पाते है जितनी की उनकों आवश्यकता होती है। ज्यादा फैट वाले खाने से शरीर में फैट बढ़ जाता है जिसके कारण बॉडी का बैलेंस ख़तम हो जाता है। यदि आपको उम्र को हराना है तो खाने में पोषक तत्वों की मात्रा का ज्यादा इस्तेमाल करे।
व्यायाम की कमी ------- लम्बे समय तक फिट रहना भी एक बड़ी चुनौती है। इसके लिए व्यायाम करना जरुरी है। नियमित व्यायाम करने से न सिर्फ शरीर से एक्स्ट्रा फैट हटता है बल्कि शरीर की मासपेशीयाँ भी मजबूत होती है और कार्य करने की क्षमता बढ़ती है। इससे शरीर में रक्तसंचार सही रहता है। शरीर से हानिकारक पदार्थ पसीने के साथ निकल जाते है और चेहरे पर चमक आ जाती है।
अधूरी नींद ------ लोग व्यस्त जीवन शैली में पूरी नींद नहीं ले पाते है जिसके कारण शरीर में अनकों विकार हो जाते है, आंखों के चारों और डार्क सर्कल्स हो जाते है और चेहरे की चमक खो जाती है। अधूरी नींद से शरीर का पीएएच बैलेंस ख़राब हो जाता है और गंदे एंजाइम्स शरीर में ही रह जाते है। अधूरी नींद कई मानसिक बिमारियों का कारण है।
तनाव ----- ज्यादा तनाव से शरीर में स्ट्रेस हार्मोन्स बढ़ जाते है जिसके कारण चेहरे पर झुरियां पड़ जाती है। जितनी तनाव पूर्ण जिंदगी होगी उतनी ही जल्दी बुढ़ापे से मुलाकात होगी इसलिए जवान बने रहने के लिए खुश रहना जरुरी है।
पानी की कमी ----- जो लोग प्रचुर मात्रा में पानी का सेवन करते है उनकी त्वचा पर एक प्रकार की चमक बनी रहती है। एजिंग की समस्या को रोकने के लिए पानी बहुत सहायक है। पानी की कमी से त्वचा साँस लेना बंद कर देती है। इसके लिए अपनी की सही मात्रा का सेवन करना चाहिए। इसके लिए समय समय पर नीबू पानी , ग्रीन टी , शरबत ,कोकोनेट वाटर लेते रहना चाहिए।
फाइबर का सेवन ---- शरीर से हानिकारक पदाथों को निकलने के लिए फाइबर बहुत महत्वपूर्ण भूमिका अदा करते है। यदि शरीर से हानिकारक तत्व बाहर नहीं निकलेंगे तो शरीर में अनेकों बिमारियों हमला कर देगी।
फाइबर शरीर में एक तरह से स्पंच का काम करते है ये शरीर के हानिकारक पदार्थों को सोख लेते है और मल द्वारा शरीर से इन हानिकारक तत्वों को शरीर से बाहर कर शरीर की सफाई करते है। खाने में फाइबर का सेवन यानि फल और सब्जियों का इस्तेमाल , छिलके वाले अनाजों का प्रयोग करना है। फाइबर से भरपूर खाने में अच्छी मात्रा में एन्टीऑक्ससिडेंट होते है जो की एजिंग की प्रक्रिया को रोक देते है जो फ्री रेडिकल्स का कारण होते है। इसलिए हमारी डाइट भरपूर फाइबर वाली होनी चाहिए।
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